हिमाचल प्रदेष विष्वविद्यालय के सुरम्य परिसर में आपका अभिनन्दन है। 200 एकड़ ;241 बिघा) के विस्तृत परिक्षेत्र मंे हुए परिसर की भव्य इमारतें, बुरांष, सिल्वर ओक, चीड़ और देवदार के वृक्षों से सुसज्जित है, जो उच्च षिक्षा ग्रहण करने के लिए स्वास्थ्यवर्धक और सौम्य वातावरण का सृजन करते हैं। हिमाचल प्रदेष विष्वविद्यालय, हिमाचल राज्य का षिक्षण व शोध संस्थान है, जो षिमला के उप-नगर समरहिल में स्थित है, जिसकी स्थापना 22 जून, 1970 में हुई। यह भारत के सम्बद्ध सह-आवासीय श्रेष्ठ विष्वविद्यालयों में से एक है।

हिमाचल प्रदेष विष्वविद्यालय में 13 संकाय हैं, जिनमें से 10 परिसर में ही स्थित है। 45 शैक्षणिक विभाग, 18 से अधिक विषेष केन्द्र तथा 16 पीठें स्थापित हैं। स्नातकोत्तर स्तर पर षिक्षण की गुणवत्ता की दृष्टि से हिमाचल प्रदेष विष्वविद्यालय ने गहरी पैठ बनाई है और उत्कृष्टता की प्रचुर सम्भावनाएँ यहाँ विद्यमान हैं। शैक्षणिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त विष्वविद्यालय में विभिन्न अनुसंधान कार्य भी हो रहे हैं। भौतिकी विभाग, जीव विज्ञान, संगणक विज्ञान, मानविकी, सामाजिक विज्ञान, विधि, यांत्रिकी एवम् प्रौद्योगिकी, वाणिज्य एवम् प्रबन्धन, साहित्य एवम् भाषाएँ तथा राज्य के आर्थिक संसाधनोें से सम्बद्ध विभिन्न क्षेत्रों में हिमाचल प्रदेष विष्वविद्यालय के विभिन्न विभाग शोध कार्य करवा रहे हैं।

वर्ष 2002 में विष्वविद्यालय अनुदान आयोग के द्वारा प्रदत्त हिमालय उत्कृष्ठ अध्ययन केन्द्र की स्थापना की गई। इसके अतिरिक्त विष्वविद्यालय में मानव संसाधन विकास केन्द्र भी स्थापित किया गया है। भौतिकी, जैव प्रौद्योगिकी, रसायन शास्त्र, व्यावसायिक अध्ययन संस्थान इत्यिादी विभिन्न विभागों को विष्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा विषेष अनुदान प्राप्त है। खेल तथा साँस्कृतिक गतिविधियों इत्यिादी सभी क्षेत्रों में विष्वविद्यालय के छात्रों ने उत्कृष्ट प्रदर्षन किया है।

विष्वविद्यालय एक ऐसी षिक्षण व्वस्था के लिए प्रयत्नषील है, जिसे गहन विचार-विमर्ष के उपरान्त तैया किया गया है और जिसकी सामाजिक प्रासंगिक्ता है। इस उद्देष्य के लिए विष्वविद्यालय ने अपना दृष्टि-प्रपत्र ‘‘स्वर्ण जयन्ती-2020’’ तैयार किया है। इस दृष्टि-प्रपत्र में आठ लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं, जिन्हें विस्तृत पर्यालोचन एवम् आत्मनिरीक्षण के पश्चात् विष्वविद्यालयों की क्षमताओं एवम् दुर्बलताओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। लक्ष्यों को निर्धारित करते हुए मुख्य रूप् से विद्यार्थियों की प्रतिभा के विकास के लिए नवीन षिक्षण और तकनीकों को ध्यान में रखा गया है। दृष्टि-प्रपत्र इस उद्देष्य को पूर्ण करने के लिए एक ऐसी रूपरेखा प्रस्तुत करता है, जिसे क्रियान्वित करने के लिए सभी विभागों एवम् प्रषासनिक कर्मचारियों का समर्पण अपेक्षित है।

विष्वविद्यालय का अपना कुलगीत है। प्रार्थनाओं के समुच्चय से युक्त मंगल ध्वनि से प्रातःकाल में एक घण्टा विष्वविद्यालय परिसर गुंजायमान रहता है। विष्वविद्यालय के मुख्य पथ को ‘‘ज्ञान-पथ’’ का नाम दिया गया है। विष्वविद्यालय मंे बृहद छात्र संगठन तथा विषय के आधार पर विभागीय संगठन एवम् संस्थाएँ हैं। विष्वविद्यालय के बहुत से विद्यार्थियों ने नेट/सेट/सलेट उत्तीर्ण किया है। विष्वविद्यालय में सभी सुविधाओं से युक्त पुस्तकालय एवम् प्रयोगषालाएँ हैं। विष्वविद्यालय ने व्याख्यान माला का आरम्भ किया है। षिक्षकों एवम् विद्यार्थियों से अन्तक्रिया करने हेतु देष के कोने-कोने से विख्यात वक्ताओं को आमंत्रित किया गया। विद्यार्थी अधिकारपत्र को सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया गया है। छात्रों द्वारा अध्यापकों के मूल्यांकन की प्रक्रिया को पहली बार आरम्भ किया गया है। नवाचारों की श्रंृखला में स्थापना दिवस समारोह ;22-24 जुलाईद्ध का आयोजन किया गया, जिसमें स्वतन्त्रता सैनानी एवम् शहीदों को सम्मानित किया गया वहीं आन्तरिक गुणवता विष्वस्तता कोष्ठ को स्थापित किया गया है।

विष्वविद्यालय का सूचनापत्र ‘‘हिमषिखर’’ एवम् शोध पत्रिका को निरन्तर प्रकाषित किया गया। दृष्टि-2020 प्रपत्र को शैक्षणिक विकास हेतु प्रकाषित किया गया है। विष्वविद्यालय के 20वें, 21वें, 22वें, 23वें, 24वें तथा 25वें दीक्षांत समारोह में भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी, नोबल पुरस्कार एवम् तिब्बत के आध्यात्मिक धर्मगुरू दलाई लामा, उपराष्ट्रपति डाॅ0 हामिद अंसारी, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीष न्यायमूर्ति टी. एस. ठाकुर, भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द, और केन्द्रीय मानव सन्साधन विकास मन्त्री श्री रमेष पोखरियाल ‘निषंक’ इन प्रखाण्ड विद्वानों ने दीक्षांत समारोह में सन्देष दिया। षिमला के नज़दीक घणाहट्टी में विष्वविद्यालय का 40 एकड़ में फैला हुआ परिसर, बी.बी.ए, बी.सी.ए, यू.आई.एल.एस, यू.आई.टी. तथा स्नातक एवम् स्नातकोत्तर विषयों के लिए विकसित किया जा रहा है। स्नातक स्तर पर राष्ट्रीय उच्चतर षिक्षा अभियान के अन्तर्गत च्वाइस बेस्ड् क्रेडिट सिस्टम ;सी.बी.सी.एस.) सत्र व्यवस्था के अन्तर्गत सफलतापूर्वक आरम्भ किया गया। बहुत से सैप कार्यक्रम विष्वविद्यालय के लिए अनुमोदित किए जा चुके हैं। विभागों, विषेष केन्द्र एवम् संस्थानों में विषेष व्याख्यानों का आयोजन किया जाता है। विष्वविद्यालय की राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय संस्थानों के साथ एम.ओ.यू. हस्ताक्षरित किए गए। हाल ही में बहुत से विद्वानों, दार्षनिकों, षिक्षाविद्ों एवम् पर्यावरणविद्ों का विष्वविद्यालय में आगमन हुआ। पहली बार विष्वविद्यालय के कुलपति राष्ट्रमण्डल विष्वविद्यालय संस्था, लंदन के सदस्य और न्यासी चयनित हुए।

मुझे पूर्ण विष्वास है कि भविष्य में भी हिमाचल प्रदेष विष्वविद्यालय षिक्षण, अनुसंधान एवम् विस्तारण गतिविधियों में उस्कृष्टता के लिए निरन्तर प्रयासरत् रहेगा।


आचार्य एस. पी. बंसलद्ध,
कलपति,
हि0 प्र0 विष्वविद्यालय, षिमला।